Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2019 · 2 min read

ज़िन्दगी

जिंदगी कुछ बिखरी बिखरी सी लगती है । लगता है यादों का कारवां जो पीछे छूट गया था अब तक जे़हन पर धुंधली यादों के सफ़र की श़क्ल में पा़बस्ता है । न जाने क्यों जाने पहचाने से चेहरे अब अन्जाने से लगते हैं । आईने में खुद को जब देखता हूं तो चेहरा भी अनजान सा लगने लगा है। शायद वक्त के दौर में सब कुछ तब्द़ील हो गया है। लगता है इंसानियत और ई़मान सिर्फ क़िताबी बातें रह गई हैं। सच और झूठ का फ़र्क करना बड़ा मुश्किल हो गया है । सच को झूठ और झूठ को सच बनाकर पेश किया जा रहा है। कानून के दोहरे मायने हो गए है । इंसाफ के तराजू में ज़र का पड़ला भारी है। मुफ़लिसों और मज़लूमों पर जु़ल्म किए जा रहे हैं सियासत चंद फ़िरकापऱस्तों और दहश़तगर्दों की जा़गीर बन चुकी है। हर कदम पर धोखे और तश़्द्दुत का मा़हौल है ।दीन की दुहाई देकर लूट खसोट करने वालों की पौ़बारह है । रिश्ते खुदगर्ज़ी में सिम़ट गए हैं । दोस्ती मौक़ापरस्तों की ज़मात बन चुकी है। मजहब के नाम पर लड़वाकर उल्लू सीधा करने वालों की कमी नही है। सरकारी महकमों में रिश्वतखोरी का बोलबाला है त़ालीमी इदारे तिज़ारती शोबे बन चुके हैं। हुऩर और फ़न की कोई क़द्र नहीं है। नीम हक़ीम अपनी दुकान चमका रहे है । इलाज के नाम पर मरीजों का खून चूसा जा रहा है। दवा के नाम पर ज़हर बेचा जा रहा है। दूसरों की अमानत पर नज़र डालने और कब्ज़ा करने वालों की भी कोई कमी नहीं है । वकालत ज़रायम पेशा बन चुका है । मुज़रिम खुलेआम घूम रहे हैं और बेगु़नाहों को फांसी पर लटका दिया जा रहा है । दानिश़मंदों की कमी म़हसूस की जा रही है। इमा़म के चोले मे छुपे फ़रेबियों की कोई कमी नही है । इल्म़ को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। तालिब- ए- इल्म़ के लिये इल्म हासिल के बजाय सऩद् हासिल करना ज़रूरी है। सच्चाई और वफादारी सिर्फ बातों में शामिल है। इश्क दिल की बजाय दिम़ाग से किया जाने लगा है । सोचता हूं किस क़दर इस प़समंज़र मैं खुद को शामिल करूँ। इसी पशोपेश में ज़िंन्दगी गुज़ार रहा हूँ । जे़हन से तो समझौता कर लूँ। पर रूह से समझौता कैसे करूँ?

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
निर्णय लेने में
निर्णय लेने में
Dr fauzia Naseem shad
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
समय यात्रा संभावना -एक विचार
समय यात्रा संभावना -एक विचार
Shyam Sundar Subramanian
श्री श्रीचैतन्य महाप्रभु
श्री श्रीचैतन्य महाप्रभु
Pravesh Shinde
घंटा हिलाने वाली कौमें
घंटा हिलाने वाली कौमें
Shekhar Chandra Mitra
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ नाकारों से क्या लगाव?
■ नाकारों से क्या लगाव?
*Author प्रणय प्रभात*
"दुमका संस्मरण 3" परिवहन सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Vaishali Verma
2303.पूर्णिका
2303.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गौरी।
गौरी।
Acharya Rama Nand Mandal
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
फितरत
फितरत
Bodhisatva kastooriya
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
Rj Anand Prajapati
मंगल मूरत
मंगल मूरत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"तेरी खामोशियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिया ना जाए तेरे बिन
जिया ना जाए तेरे बिन
Basant Bhagawan Roy
यह कौन सा विधान हैं?
यह कौन सा विधान हैं?
Vishnu Prasad 'panchotiya'
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
किसी भी सफल और असफल व्यक्ति में मुख्य अन्तर ज्ञान और ताकत का
किसी भी सफल और असफल व्यक्ति में मुख्य अन्तर ज्ञान और ताकत का
Paras Nath Jha
आसमाँ .......
आसमाँ .......
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
खुला आसमान
खुला आसमान
Surinder blackpen
💐अज्ञात के प्रति-109💐
💐अज्ञात के प्रति-109💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बेटी
बेटी
Akash Yadav
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
shabina. Naaz
हमें रामायण
हमें रामायण
Dr.Rashmi Mishra
Fantasies are common in this mystical world,
Fantasies are common in this mystical world,
Sukoon
Loading...