ज़िन्दगी है ग़ज़ल
तू कभी घर मेरे आना_ज़िन्दगी।
साथ मेरे गुनगुनाना___ज़िन्दगी।
रूठ जाऊँ मैं कभी तुझ से तो’ फिर,
तू मुझे हँस के मनाना___ज़िन्दगी।
कम नहीं होते ग़मों के सिलसिले
ग़म भुला कर मुस्कुराना__ज़िन्दगी।
रात है दुख की अभी तो क्या हुआ
चाँद सुख का तू दिखाना__ज़िन्दगी।
बेबसी का हर अँधेरा भेद कर
आस का सूरज उगाना__ज़िन्दगी।
भर गया जी, मतलबी दुनिया से,अब
पास अपने फिर बुलाना__ज़िन्दगी।
दर्द हो कितना मगर कहते नहीं,
राज़ मत उनको बताना__ज़िन्दगी।
मौत आयेगी भरोसा है मगर
तेरे कल का क्या ठिकाना ज़िन्दगी
……
डा.हेम