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3 Aug 2016 · 1 min read

ग़ज़ल

वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं
ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं
कदमबोसी करते नज़र आते थे जो
वो लगता है अब आसमां हो गए हैं
न जाने हवाओं मे है शोर कैसा
कि परवत भी दहशतजदा हो गए हैं
ये दुनिया तो ऐसे ही चलती रहेगी
“चिराग़”आप क्यों ग़मज़दा हो गए हैं

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