ग़ज़ल
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ग़ज़ल
तुम जो जुल्फें यों ही संँवार गये
जीते जी थे हमें यों मार गये
तेरी आँखों में खुद को ढूँडा फिरा
आस टूटी मेरी खुमार गये
छोड़ा तुमने तो साथ मेरा मगर
जिन्दगी मेरी तुम निखार गये
मुफलिसी में बितायी जिन्दगी जो
दूसरों वास्ते गुज़ार गये
दुख हमेशा था तुमने झेला मगर
तुम ख़ुदा को सदा पुकार गये
दूर मुझसे तो तुमको जाना ही था
जाते जाते मुझे निहार गये
तेरी खुशियाँ न हम तुम्हें दे सके
तुमसे तो यार हम भी हार गये
सुरेश भारद्वाज निराश