Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

गमों में मुस्कराना हो गया है
दिल ए दुश्मन जलाना हो गया है।

दो पैंतरे क्या सीख लिये मैने
दोस्त अब सारा जमाना हो गया है।

शुरू आँखें दिखाना कर दिया मैंने
सबका नज़रें चुराना हो गया है।

उसे नाज़ है उसकी चौखट पर
दोस्त का सर झुकाना हो गया है।

मिलना मक़सद है चुनाव अगला
मुहब्बतों का बहाना हो गया है।

दिल की दिल में है क्या कहें किससे
प्यार किस्सा पुराना हो गया है।

खुश बहुत है दोस्त आज बचपन का
मेरा आँसू बहाना हो गया है।

संजय नारायण

Language: Hindi
4 Likes · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
दो अक्टूबर
दो अक्टूबर
नूरफातिमा खातून नूरी
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
🙅अचरज काहे का...?
🙅अचरज काहे का...?
*Author प्रणय प्रभात*
हो असत का नगर तो नगर छोड़ दो।
हो असत का नगर तो नगर छोड़ दो।
Sanjay ' शून्य'
फिर जनता की आवाज बना
फिर जनता की आवाज बना
vishnushankartripathi7
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
व्यथा पेड़ की
व्यथा पेड़ की
विजय कुमार अग्रवाल
"नवाखानी"
Dr. Kishan tandon kranti
2436.पूर्णिका
2436.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नव वर्ष
नव वर्ष
Satish Srijan
*करते हैं प्रभु भक्त पर, निज उपकार अनंत (कुंडलिया)*
*करते हैं प्रभु भक्त पर, निज उपकार अनंत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
🌹Prodigy Love-31🌹
🌹Prodigy Love-31🌹
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काम दो इन्हें
काम दो इन्हें
Shekhar Chandra Mitra
सब अपने दुख में दुखी, किसे सुनाएँ हाल।
सब अपने दुख में दुखी, किसे सुनाएँ हाल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जागेगा अवाम
जागेगा अवाम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन  सम्बंध।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
sushil sarna
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
नवीन जोशी 'नवल'
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
मोहब्बत से जिए जाना ज़रूरी है ज़माने में
मोहब्बत से जिए जाना ज़रूरी है ज़माने में
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
अहमियत 🌹🙏
अहमियत 🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
आत्मीय मुलाकात -
आत्मीय मुलाकात -
Seema gupta,Alwar
समंदर चाहते है किनारा कौन बनता है,
समंदर चाहते है किनारा कौन बनता है,
Vindhya Prakash Mishra
Loading...