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4 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

हर दिन होली और हर रात दिवाली है
जब बिहारी की महबूबा होती नेपाली है

ग़र यकीं ना आये तो इश्क़ करके देखो
फिर समझ जाओगे क्या होती कंगाली है

जिसकी खातिर लड़ता रहा वो ज़माने से
आज उसी ने कह दिया उसे तू मवाली है

जरूर इज्ज़त करता होगा वो उसकी
जो ज़लील होने के बाद भी ज़बां संभाली है

जीने की वज़ह ही बनती है मर जाने की
मोहब्बत में होती हर बात निराली है

………………..

:- आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com

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