Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

क़ातिल तेरी अदाएँ शातिर वो मुस्कुराना
पहलू में है छिपा खंजर वैसे दिल मिलाना

कुछ तो मिजाज़ अपना बाक़ी असर तुम्हारा
ऐसे खुशी में झूमे के बन गया फ़साना

फ़ितरत तेरी समझकर ये हँस रहे सभी हैं
मिलकर तेरा सभी से यूँ हाले-दिल सुनाना

सबको ख़बर हुई है मुश्किल भी आ पड़ी है
फ़िर से करीब आने को ढूँढता बहाना

माना के अब ज़हर ये पी लिया तू ने अकेले
लेकिन कभी न भूलें शमशीर का निशाना

ईमान ही ‘अमर’ खुद तेरा गवाह हर।दिन
हों ज़ख्म कुछ हरे भी, गैरों को मत रुलाना

——- अमर पंकज
(डॉ अमर नाथ झा)

200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
"भूल गए हम"
Dr. Kishan tandon kranti
रक्षक या भक्षक
रक्षक या भक्षक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
Raju Gajbhiye
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
लफ़्ज़ों में हमनें
लफ़्ज़ों में हमनें
Dr fauzia Naseem shad
*संतुष्ट मन*
*संतुष्ट मन*
Shashi kala vyas
రామయ్య మా రామయ్య
రామయ్య మా రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
रक्तदान
रक्तदान
Neeraj Agarwal
आओ थोड़ा जी लेते हैं
आओ थोड़ा जी लेते हैं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
अजब तमाशा जिन्दगी,
अजब तमाशा जिन्दगी,
sushil sarna
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
Shankar N aanjna
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एहसास
एहसास
Er.Navaneet R Shandily
महान कथाकार प्रेमचन्द की प्रगतिशीलता खण्डित थी, ’बड़े घर की
महान कथाकार प्रेमचन्द की प्रगतिशीलता खण्डित थी, ’बड़े घर की
Dr MusafiR BaithA
■ आज का मुक्तक...
■ आज का मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
विषय -घर
विषय -घर
rekha mohan
फ़ितरत
फ़ितरत
Manisha Manjari
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
" कू कू "
Dr Meenu Poonia
कैसे?
कैसे?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
अति वृष्टि
अति वृष्टि
लक्ष्मी सिंह
जहां हिमालय पर्वत है
जहां हिमालय पर्वत है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2788. *पूर्णिका*
2788. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अब उठो पार्थ हुंकार करो,
अब उठो पार्थ हुंकार करो,
अनूप अम्बर
बुद्ध धाम
बुद्ध धाम
Buddha Prakash
Loading...