ग़ज़ल
इश्क़
इश्क़ में मुँह मोड़ वो शहर जा रहा है।
दिल को बेख़ुदी में अपने खोता जा रहा हैं।।।।।
आयेगी याद हरपल उसे जानता है वो भी।
इसी बात को छुपा वो रोता जा रहा है।।।
इश्क़ के नासूर जख्म जीने नही देंगे कहीं उसे।
फिर भी वो दामन अश्कों से धोता जा रहा है।।।।
क़ामयाबी मिलेंगी उसे पराये शहर में वो अनजान हैं।
फिर भी जिंदगी का दर्द गमो का बोझ ढोता जा रहा है।।।।
देख मेरी तरफ प्रेम भरी नजरों से निहारता हुआ।
खुली आँखों से आज तक वो सोता जा रहा है।।
नही खिलेगा फ़ूल कभी प्यार का इस उजड़े चमन में।
फिर भी दिलबर मेरा इश्क का बीज बोता जा रहा है।।।।
होंगी एक दिन उसके दिल की ज़मी पर प्रेम की बरसात।
यही सोच सोनू वो न्योता जा रहा हैं।।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
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