ग़ज़ल
इश्क
ग़ज़ल
आसमाँ को धरती पर कौन लायेगा।
इश्क में जुदा हुये उन्हें कौंन मिलायेगा।।।
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बहाते हैं जो आँखों से अश्क़ की धारा।
पास जाकर उन्हें कौंन समझायेगा।।।
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ठोकरे मार मार कर हँसती है दुनियां दोस्तों।।
दिल मे लगी इश्क की आग को कौन बुझायेगा।।।।
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दिल टूट गया उनके दिये दर्द के सदमे सह सह के।
अब न सताये हमे वो उसे कौंन बतायेगा।।।।
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सदियां गुज़र गयी उनके दीदार किये हुये।
अब उनकी नजरों से मेरी नजरों को कौंन मिलायेगा।।।
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बेकरार है हम उनके मधुर संगीत को सुनने को।
वो जालिम सनम पास आकर कब गुनगुनायेगा।।।
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सोनू पूछो तो सही किसी से जाकर उसके बारे में।
उसे हमारी हरपल की ख़बर कौंन सुनायेगा।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन मंदसौर
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