ग़ज़ल
इश्क़
ग़ज़ल
बार बार हम दिल को समझाते रहें।
हम रोते रहे और वो हमें नादान कहते रहे।
दिल के आसमाँ पर बार बार नाम उनका लिखते रहे।
मुस्कुराकर पागल कह हमसे दूर वो जाते रहे।।।
बुलाया था उसने ही हमे उसके दिल के मकाँ में।
हम सोच सोच आहिस्ता उसकी ओर बढ़ते रहे।।।
अब न होगी उससे कभी फिर मुलाकात,
हम खुद ही बेख़ुदी में अपना दिल तोड़ते रहे।
इश्क में हम उसको प्यार से निहारते रहें।
हमें छोड़ गैरो से वो हँसते और खिलखिलाते रहे।।।
वादों और कसमो का क्या है लोग यूँही छलावा करते है।।।
हम व्यर्थ में अपनी आँखों से अश्क़ बहाते रहें।।।
सोनू की दिली तमन्ना बस वो खुश जीवन मे रहें।
हम चाहे याद में उसके पल पल मरते रहे।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
कॉपीराइट सुरक्षित