ग़ज़ल
ग़ज़ल
जमाने के देखें हमने रंग हज़ार,
नही जेब मे कुछ रुपया हम कितने है लाचार।
महफ़िल सजी है दीवानों की यहाँ हर गली में,
फिर भी देखने को हम मन में नही लाये रंगीले विचार।।।
सदा सम्भाले रखना आपना आशियाना दोस्तों,
एक बार ऊजड़ जाने पर कभी नही आती नयी इसमें बहार।।।।।।
रूपयों की अकड़ दिल और दिमाग़ मे कभी न लाना,
मुश्किल वक़्त आने पर काम आता है अपना सद्व्यवहार।।।।।
आजकल देखने को बहुत मिलते हैं मनचलों की टोली गली गुच्चो में,
नही होती है जेब मे फूटी कोड़ी फिर भी ढींगे मारने को चले है बाजार।।।।।।
अपनी वाणी को जरा सोच और तौलकर बोलें दोस्तों,
इसके जैसा नही कोई ख़तरनाक तेज औजार।।।।
सोनू को नही आती है कोई ग़ज़ल और सजल,
फ़िर भी जारी रखी है लिख़ने को कलम की नोंक लगातार।।।।।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
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