#ग़ज़ल-60
वज़्न…212—212—212—22
ले गई दिल सनम इस कदर मेरा
हो गया दास जैसा ज़िगर मेरा/1
आहटें हों गली चौंक मैं जाऊँ
युग हुआ बीतता इक पहर मेरा/2
लौट आ दिल पुकारे तुझे ही तो
बिन तिरे है बला-सा सफ़र मेरा/3
बुत न बन सोच दिल से ज़रा तू भी
बू बिना फूल-सा है शहर मेरा/4
दिल क़मर-घन कहे है तुझे यारा
घूँघटे में नज़र-सा गुज़र मेरा/5
प्रीत कम हो न सकती कभी प्रीतम
प्यार है पाक जल-सा अमर मेरा/6
आर.एस.’प्रीतम’