Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2020 · 1 min read

ग़ज़ल- वो साथ छोड़कर मेरा शायद भटक गये…

वो साथ छोड़कर मेरा शायद भटक गये।
मंज़िल थी आसमां पे ज़मीं पर अटक गये।।

ऐ सोच कर बुज़ुर्ग है करते रहे अदब़।
बच्चों सी करते हरक़तें वो क्या सटक गये।।

थे दफ़्न हम ज़मीं में यूँ सदियों से क़ब्र में।
कांधों पे देख उनको ये नैना मटक गये।।

रहता हूँ मौन सोच के शीशे सा दिल न हो।
आवाज़ सुनके तो कई शीशे चटक गये।

उनको तो फ़र्श-अर्श में कुछ फ़र्क भी नही।
ऊपर उठाके हमको वो नीचे पटक गये।।

मिलती सफलता भी हमे हर हाल में सनम।
हम साथ ही चले थे तुम्हीं तो भटक गये।।

शर्मिंदा हम नहीं हैं अदब से झुके हैं हम।
फल फूल ही रहे हैं तभी तो लटक गये।।

जब तक रहा उजाला तो ये मुंह छिपाये थे।
सूरज के डूबते ही सितारे छटक गये।।

मेरा बज़ूद उनकी नज़र में नहीं था फिर ।
होकर ज़ुदा वो ‘कल्प’ से इतने झटक गये।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’
221. 2121. 1221. 212

221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जो खास है जीवन में उसे आम ना करो।
जो खास है जीवन में उसे आम ना करो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
■ आज ऐतिहासिक दिन
■ आज ऐतिहासिक दिन
*Author प्रणय प्रभात*
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
अंसार एटवी
कोरोना काल
कोरोना काल
Sandeep Pande
हम जियें  या मरें  तुम्हें क्या फर्क है
हम जियें या मरें तुम्हें क्या फर्क है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आया नववर्ष
आया नववर्ष
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बिना शर्त खुशी
बिना शर्त खुशी
Rohit yadav
I am sun
I am sun
Rajan Sharma
"ख़ामोशी"
Pushpraj Anant
गोवर्धन गिरधारी, प्रभु रक्षा करो हमारी।
गोवर्धन गिरधारी, प्रभु रक्षा करो हमारी।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
चीरहरण
चीरहरण
Acharya Rama Nand Mandal
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
पूर्वार्थ
"जब शोहरत मिली तो"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
Satyaveer vaishnav
2820. *पूर्णिका*
2820. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साज सजाए बैठा जग के, सच से हो अंजान।
साज सजाए बैठा जग के, सच से हो अंजान।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-507💐
💐प्रेम कौतुक-507💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
अजहर अली (An Explorer of Life)
I love to vanish like that shooting star.
I love to vanish like that shooting star.
Manisha Manjari
सालगिरह
सालगिरह
अंजनीत निज्जर
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
ज़िंदगी फिर भी हमें
ज़िंदगी फिर भी हमें
Dr fauzia Naseem shad
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
Loading...