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4 Jun 2017 · 1 min read

ग़ज़ल-ये तुम क्यों भूल गए

ग़ज़ल-ये तुम क्यों भूल गए

मैंने तुम से प्यार किया था…..ये तुम क्यों भूल गए
तुमको सब कुछ मान लिया था ये तुम क्यों भूल गए

सुबह थी तुम शाम थी तुम मेरे दिल की जान थी तुम
सब कुछ तुझपर वार दिया था ये तुम क्यों भूल गए

हर जन्म साथ निभाने का एक-दूसरे को अपनाने का
साथ मिलकर कसम लिया था ये तुम क्यों भूल गए

हर पल तेरा साथ दिया तेरे हर सुख-दुख के लमहों में
तेरे हर एक जख्मो को सिया था ये तुम क्यों भूल गए

एक तरफ थे दुनियावाले एक तरफ दीवाना “पियुष”
सांसों में तुमको बसा लिया था ये तुम क्यों भूल गए

पियुष राज ,दुमका ,झारखण्ड
कविता- 64 (26 मई 2017)

477 Views
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