Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2018 · 1 min read

ग़ज़ल( बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं)

सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे
ना जाने क्यों वो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं

हुए दुनिया से बेगाने हम जिनके इक इशारे पर
ना जाने क्यों वो अब हमसे ज़माने की बात करते हैं

दर्दे दिल मिला उनसे वो हमको प्यारा ही लगता
जख्मो पर वो हमसे अब मरहम लगाने की बात करते हैं

हमेशा साथ चलने की दिलासा हमको दी जिसने
बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं

नजरें जब मिली उनसे तो चर्चा हो गयी अपनी
न जाने क्यों वो अब हमसे प्यार छुपाने की बात करते हैं

ग़ज़ल( बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं)

मदन मोहन सक्सेना

292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कलियुग है
कलियुग है
Sanjay ' शून्य'
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
Noone cares about your feelings...
Noone cares about your feelings...
Suryash Gupta
"ख़ूबसूरत आँखे"
Ekta chitrangini
राम से जी जोड़ दे
राम से जी जोड़ दे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कब टूटा है
कब टूटा है
sushil sarna
नारी अस्मिता
नारी अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
अनगढ आवारा पत्थर
अनगढ आवारा पत्थर
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
कविता
कविता
Alka Gupta
"चुनौतियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
श्रम साधिका
श्रम साधिका
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
वो शख्स अब मेरा नहीं रहा,
वो शख्स अब मेरा नहीं रहा,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
युद्ध के विरुद्ध कुंडलिया
युद्ध के विरुद्ध कुंडलिया
Ravi Prakash
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
खिलाड़ी
खिलाड़ी
महेश कुमार (हरियाणवी)
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गांव - माँ का मंदिर
गांव - माँ का मंदिर
नवीन जोशी 'नवल'
** सुख और दुख **
** सुख और दुख **
Swami Ganganiya
* मुस्कुराते हुए *
* मुस्कुराते हुए *
surenderpal vaidya
■ प्रभात चिंतन...
■ प्रभात चिंतन...
*Author प्रणय प्रभात*
इश्क में  हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
इश्क में हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दिन ढले तो ढले
दिन ढले तो ढले
Dr.Pratibha Prakash
दूजी खातून का
दूजी खातून का
Satish Srijan
पितृपक्ष
पितृपक्ष
Neeraj Agarwal
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
gurudeenverma198
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
कवि दीपक बवेजा
Loading...