ग़ज़ल/नैना बंजारे
नैना मेरे इस क़दर हो गये बंजारे
इक़ तेरी ही झलक को फिरे मारे मारे
नैना नींदें भी हारे नैना चैना भी हारे
इक़ पल भी ना तुझको पलकों से उतारे
दिले बाग़ीचा सूना मेरा कूचा भी सूना
नैना तुझको पुकारे तुझें तस्वीरों में निहारे
नैना भर आए इतने, फ़िर भी हैं प्यासे
नैना सुनते ही कब हैं नैना हो गये तुम्हारें
तुझे फूलों में तलाशें तितलियों में तलाशे
खुली फ़िज़ा में पुकारे तुझे वादियों में पुकारे
~अजय “अग्यार