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2 Jun 2018 · 1 min read

#ग़ज़ल-50

मापनी–2122-2122-212
काफ़िया-नारी-भारी-लारी-खारी-प्यारी-न्यारी-हारी-सारी-पारी।
रदीफ़ -घनी।

तेज़ है तलवार-सी नारी घनी
मर्द पर तो है लगे भारी घनी/1

ख़ूब हो शापिंग पार्लर शौक जी
पेय पी ले पेय-सी लारी घनी/2

बात मानो ठीक रूठेगी नहीं
रूठ जाए तो लगे खारी घनी/3

मायके का रोब होठों पर रहे
नाच उँगली पर रहे प्यारी घनी/4

पूछकर हर काम कर पति देव जी
देखना फिर तो दिखे न्यारी घनी/5

चाह हो परिवार एकल में रहें
बाप-माँ से तो लगे हारी घनी/6

जग लगें पति और बच्चे बस इसे
और केवल भीड़ लगती सारी घनी/7

देख प्रीतम वैर लेना ना कभी
खेलना तू प्रेम की पारी घनी/8

-आर.एस.’प्रीतम’

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