Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2018 · 1 min read

ग़ज़ल/तेरी हर अदा पे ग़ज़ल कह सकता हूँ

तेरी पलकों के साये को भी बादल कह सकता हूँ
मैं शायर हूँ, तेरी हर अदा पे ग़ज़ल कह सकता हूँ

तेरे लब पंखुड़ी हैं ग़ुलाब की , आँखें हिरनी जैसी
ज़ुबा माशाल्लाह तेरे हलक को संदल कह सकता हूँ

तू है मौसमें बहारा सी ,तू मेरी इकलौती हक़दार है
मैं तेरी साँसों औऱ आहटों को पायल कह सकता हूँ

ये ज़िगर ये रूह हर वक़्त तेरी ही तो बातें करते हैं
मैं तेरे इश्क़ में ख़ुद को पागल वागल कह सकता हूँ

तू कहीं भी रहे ये तेरा अक्स मेरे सीने में दफ़्न रहेगा
मैं तेरी यादों में ,सुबहा को तेरी शकल कह सकता हूँ

दुपहर को तेरी हँसी, शाम को तेरी जुल्फों का साया
औऱ रात को तेरी आँखों का काज़ल कह सकता हूँ

~~अजय “अग्यार

180 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ जीवन सार
■ जीवन सार
*Author प्रणय प्रभात*
🌿⚘️प्राचीन  मंदिर (मड़) ककरुआ⚘️🌿
🌿⚘️प्राचीन मंदिर (मड़) ककरुआ⚘️🌿
Ms.Ankit Halke jha
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
Slok maurya "umang"
सीख ना पाए पढ़के उन्हें हम
सीख ना पाए पढ़के उन्हें हम
The_dk_poetry
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
तुम्हारे जाने के बाद...
तुम्हारे जाने के बाद...
Prem Farrukhabadi
कोई साया
कोई साया
Dr fauzia Naseem shad
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
रिश्ता ऐसा हो,
रिश्ता ऐसा हो,
लक्ष्मी सिंह
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
Phool gufran
सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे भवन्तु सुखिन:
Shekhar Chandra Mitra
रिश्तों को साधने में बहुत टूटते रहे
रिश्तों को साधने में बहुत टूटते रहे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
gurudeenverma198
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पानी  के छींटें में भी  दम बहुत है
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
Paras Nath Jha
*भारत माता के लिए , अनगिन हुए शहीद* (कुंडलिया)
*भारत माता के लिए , अनगिन हुए शहीद* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जाने के बाद .....लघु रचना
जाने के बाद .....लघु रचना
sushil sarna
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
VEDANTA PATEL
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
Aarti sirsat
****शिक्षक****
****शिक्षक****
Kavita Chouhan
बाल दिवस पर मेरी कविता
बाल दिवस पर मेरी कविता
Tarun Singh Pawar
हिंदुस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान जिंदाबाद
Mahmood Alam
प्रकृति के फितरत के संग चलो
प्रकृति के फितरत के संग चलो
Dr. Kishan Karigar
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
समय गुंगा नाही बस मौन हैं,
Sampada
......?
......?
शेखर सिंह
एक मुक्तक
एक मुक्तक
सतीश तिवारी 'सरस'
Loading...