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29 Sep 2016 · 1 min read

ग़ज़ल ..”..जिंदगी दर्द की कहानी है’

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बात मुहब्बत की बतानी है
जिंदगी दर्द की कहानी है

हर रिश्ता बसा किया दिल में
दौलतें ही असल जुबानी है

माफ़ कर दो मुझे… मिरे हमदम
चार ही दिन की…. ज़िंदगानी है

सब कुछ किया करो अपन मन क़ी
क्या भरोसा कि ….कब रवानी है

प्यार नफ़रत हरेक पहलु में
लड़कियां ही यहाँ सियानी हैं

आँधियाँ मंज़िलें थीं मिटाती
मंज़िल उसे ‘ब ‘ को बनानी है
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रजिंदर सिंह छाबड़ा

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