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24 May 2019 · 1 min read

ग़ज़ल:-अश्क़ पी कर रह गये तुमने बहाए क्यों नहीं

मतला
अश्क़ पी कर रह गये तुमने बहाए क्यों नहीं।
ज़ख्म दिलके आपने हमको दिखाए क्यों नहीं।।
【1】
प्यास हो दिल मे अग़र उसको बुझाना चाहिए।
पास दरिया के पहुंचकर तुम नहाए क्यों नहीं।।
【2】
ख़्वाब जो झूठे दिखाता वो बजीरे ख़ास है।
तुम धरालत पर रहे सपने दिखाए क्यों नहीं।।
【3】
जो सियासत के लिए बस बाँटते आवाम को।
उन दरिंदों को सबक तुमने सिखाए क्यों नही।।
【4】
कर यक़ी ख़ुद पर ज़रा सा, हौसले अपने बढ़ा।
हौंसले ही जंग जीते, आजमाए क्यों नहीं।।
【5】
हाथ पर यूं हाथ रखकर बैठना मंहगा पढ़ा।
होते झोली में भी फल पत्थर चलाए क्यों नहीं।।
【6】
रह ख़ुदी छोटा सा तू दूजों का यूँ साया न बन।
सोचिए अब तो ज़रा सूरज के साए क्यों नही।
【7】
‘कल्प’ कब तक चुप रहोगे बोलिए अब तो सही।
साथ तेरे हम भी होते, आजमाए क्यों नही।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’

बह्र:- रमल मुसम्मन महज़ूफ
अरकान:- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
(2122 2122 2122 212)

204 Views
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