Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2016 · 1 min read

ग़ज़ल/गीतिका

ना करो ऐसे कुछ, रस्म जैसे निभाती हो
आरसी भी तरस जाता, तब मुहँ दिखाती हो |

छोड़कर तब गयी अब हमें, क्यों रुलाती हो
याद के झरने में आब जू, तुम बहाती हो |

रात दिन जब लगी आँख, बन ख़्वाब आती हो
अलविदा कह दिया फिर, अभी क्यों सताती हो ?

जिंदगी जीये हैं इस जहाँ मौज मस्ती से
गलतियाँ भी किये याद क्यों अब दिलाती हो |

प्रज्ञ हो जानती हो कहाँ दुःखती रग है
शोक आकुल हुआ जब, मुझे तुम हँसाती हो |

कहती थी मुँह कभी फेर लूँ तो तभी कहना
दु:खी हूँ या खफ़ा, तुम नहीं अब मनाती हो |

वक्सिसे जो मिली प्रेम के तेरे चौखट पर
भूलना चाहता हूँ, लगे दिल जलाती हो

कालीपद ‘प्रसाद’

619 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भाई दोज
भाई दोज
Ram Krishan Rastogi
"गजब के नजारे"
Dr. Kishan tandon kranti
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
Neerja Sharma
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
कोरोना :शून्य की ध्वनि
कोरोना :शून्य की ध्वनि
Mahendra singh kiroula
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
मोदी एक महानायक
मोदी एक महानायक
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चंचल मन
चंचल मन
Dinesh Kumar Gangwar
बुंदेली दोहा संकलन बिषय- गों में (मन में)
बुंदेली दोहा संकलन बिषय- गों में (मन में)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खुली किताब सी लगती हो
खुली किताब सी लगती हो
Jitendra Chhonkar
ज़िंदगी में बेहतर
ज़िंदगी में बेहतर
Dr fauzia Naseem shad
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
*परियों से  भी प्यारी बेटी*
*परियों से भी प्यारी बेटी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
*यह थाली के बैंगन हैं, हर समय लुढ़कते पाएँगे(हिंदी गजल/गीतिक
*यह थाली के बैंगन हैं, हर समय लुढ़कते पाएँगे(हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
Aadarsh Dubey
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
Ashish shukla
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
♥️राधे कृष्णा ♥️
♥️राधे कृष्णा ♥️
Vandna thakur
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हिंदी दिवस पर विशेष
हिंदी दिवस पर विशेष
Akash Yadav
3257.*पूर्णिका*
3257.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
लक्ष्मी सिंह
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Sakshi Tripathi
शायरी
शायरी
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
* रेत समंदर के...! *
* रेत समंदर के...! *
VEDANTA PATEL
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
ruby kumari
Loading...