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16 Oct 2020 · 1 min read

ग़म ज़माने से छुपाना आ गया

रफ़्ता-रफ़्ता मुस्कुराना आ गया
ग़म ज़माने से छुपाना आ गया

मुस्कुराकर यूँ लजाना आ गया
देखकर पलकें झुकाना आ गया

आँख में उम्मीद आती है नज़र
ख़्वाब आँखों में सजाना आ गया

दूर हो नज़दीक कब तक आओगे
प्यार का मौसम सुहाना आ गया

बन्द आँखों से यकीं करता था जो
आज उसको आज़माना आ गया

ज़िक्र उसने ही किया था याद है
याद क़ातिल का फ़साना आ गया

मस्तियाँ बच्चों की देखीं आज फिर
याद बचपन का ज़माना आ गया

बज़्म में चर्चा हुआ था देर तक
शह् र में किसका दिवाना आ गया

ये अदा ‘आनन्द’ की देखी अभी
नेकियाँ कर के भुलाना आ गया

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 187 Views
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