–ख़ुशी का बहाना–भुजंग प्रयात छंद
भुजंग प्रयात छंद की परिभाषा और कविता–
भुजंग प्रयात छंद
———————यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इसमें बारह वर्ण चार यगण क्रम में आते हैं।
यगण×4=भुजंग प्रयात छंद या ISS×4=भुजंग प्रयात छंद
भुजंग प्रयात छंद की कविता
भुजंग प्रयात छंद-ISS×4
ख़ुशी का बहाना
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सजाओ दिलों को गुलों-सा हमेशा।
बनाओ दिलों को पुलों-सा हमेशा।
खिलेंगे मिलेंगें उमंगें भरेंगें,
बढ़ेंगें सभी रे हलों-से हमेशा।
सिखाओ दिलों को उठाना जमीं से।
सिखाओ दिलों को बचाना नमीं से।
अमीरी दिलों की जोड़े है रुहों को,
सिखाओ दिलों को हँसाना ग़मी से।
दिलों को रुलाना बदी है सुनो जी।
दिलों को मिलाना हसीं है सुनो जी।
दिलों का रुठाना ख़ुदा है रुठाना,
ख़ुदा रूठ जाए कमी है सुनो जी।
न हारो परीक्षा कभी भी न छोड़ो।
न बैठो चलो साथ राहें न छोड़ो।
सभी चाहतें आ रही हैं बुलाने,
करो सब्र उम्मीद के तार जोड़ो।
धनी वो नहीं जो ख़जाना लिए हैं।
धनी वो दिलों में ज़माना लिए हैं।
विचारों सुधारो दिलों में बसो रे,
मिसालें ख़ुशी का बहाना लिए हैं।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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