Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2017 · 1 min read

हक़

?? हक़ ??

??????????
हक़ मांगने गए तो बड़े शोर हो गए।
इल्ज़ाम ये लगा कि मुंह जोर हो गए।

क़ायम रहा ईमान उनका देश बेचकर।
हम रोटियाँ चुरा के बड़े चोर हो गए।

खा-खा के कसम वोट मांगते जो दिखे थे।
जीते तो पांच साल को फिर मोर हो गए।

चंदे पे लड़ चुनाव जो पहुंचे असेम्बली।
अगले ही साल वन टू का फोर हो गए।

सीमा पे इक जवान था छुट्टी को तरसता।
नेताजी बीस बार आउटडोर हो गए।

फसलें किसान की यहाँ बर्बाद हो रहीं।
नेता दलाली खा के डबलडोर हो गए।

करते थे जो बखान कि सिस्टम में दोष है।
कुर्सी उन्हें मिली तो वही प्योर हो गए।

हर आदमी है “तेज” मगर क्या उपाय है।
सुन-सुन के ज्ञान-ध्यान सभी बोर हो गए।
??????????
तेजवीर सिंह “तेज”

459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जैसे तुम हो _ वैसे हम है,
जैसे तुम हो _ वैसे हम है,
Rajesh vyas
युही बीत गया एक और साल
युही बीत गया एक और साल
पूर्वार्थ
■ खाने दो हिचकोले👍👍
■ खाने दो हिचकोले👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
मोहन कृष्ण मुरारी
मोहन कृष्ण मुरारी
Mamta Rani
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
प्यार जताना नहीं आता ...
प्यार जताना नहीं आता ...
MEENU
Blac is dark
Blac is dark
Neeraj Agarwal
जिंदगी भर ख्वाहिशों का बोझ तमाम रहा,
जिंदगी भर ख्वाहिशों का बोझ तमाम रहा,
manjula chauhan
"कोढ़े की रोटी"
Dr. Kishan tandon kranti
राखी (कुण्डलिया)
राखी (कुण्डलिया)
नाथ सोनांचली
उदासियाँ  भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
_सुलेखा.
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे अंतस में ......
मेरे अंतस में ......
sushil sarna
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
"दूल्हन का घूँघट"
Ekta chitrangini
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
VINOD CHAUHAN
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
*सवाल*
*सवाल*
Naushaba Suriya
वो ही प्रगति करता है
वो ही प्रगति करता है
gurudeenverma198
जरूरत के हिसाब से सारे मानक बदल गए
जरूरत के हिसाब से सारे मानक बदल गए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*नव वर्ष (मुक्तक)*
*नव वर्ष (मुक्तक)*
Ravi Prakash
जितना खुश होते है
जितना खुश होते है
Vishal babu (vishu)
बड़ा हीं खूबसूरत ज़िंदगी का फलसफ़ा रखिए
बड़ा हीं खूबसूरत ज़िंदगी का फलसफ़ा रखिए
Shweta Soni
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
माँ-बाप
माँ-बाप
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
* मायने हैं *
* मायने हैं *
surenderpal vaidya
2743. *पूर्णिका*
2743. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खुदा जाने
खुदा जाने
Dr.Priya Soni Khare
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
Loading...