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2 Dec 2017 · 2 min read

हक़ हमें भी चाहिए…….

सुनाता हूँ एक घटना
घटी जो मेरे साथ है
सुबह की ही तो बात है
राह में एक भैंस खड़ी थी
कुछ सहमी, कुछ डरी – डरी थी
देख मैंने सहसा पूछा, क्या बात है
दबे स्वर में वो बोली…
क्या? मेरे दूध का रंग काला है
मैंने कहा नहीं-नहीं,
आखिर ऐसी क्या बात है
तपाक से वो बोली
फिर, तुम ही बताओ,
गाय तुम्हारी “माता” और हम……
वाह! क्या दोहरी नीति रखते हो
आदमी तो आदमी,
जानवर में भी रंगभेद करते हो
मुझसे कोई रिश्ता नहीं,
गऊ को माता कहते हो
पर, दूध ज्यादा मेरा पसंद करते हो ,
हर वक्त गौ-रक्षा, गौ- रक्षा बस करते हो
माना गाय के दूध से स्वस्थ दिमाग पाओगे
पर मेडल के लिए पहलवान कहाँ से लाओगे
आज शर्म आती, तेरे सोच पर
बैठ रोज खूब बहस करते हो
गौ- रक्षा का खूब दम भरते हो
क्या देखी है, उसकी हालत
हम तो फिर भी बेफ़िक़्र, मस्त रहते हैं
शायद इसी कारण, सब हमें भैंस कहते हैं
हद तो तब हो जाती है,
लिखना पढ़ना खुद नहीं आता
तोहमत हम पर लगाते हो
बात – बात में
” काला अक्षर भैंस बराबर ” बताते हो
क्या? बाकी से रोज अखबार पढ़वाते हो
गलती करो खुद, पानी में हमें बहाते हो
बस कर, छोड़ अब तू अपनी दोहरी नीति
रक्षा तो हमें भी चाहिए ‘अजय’
पूरा ना सही, थोड़ा प्यार हमें भी चाहिए’अजय’
बेशक तू कह ले “गौ को माता”
बेशक तू कह ले ” गौ को माता ”
पर…..
“मौसी ” का हक़ हमें भी चाहिए
“मौसी ” का हक़ हमें भी चाहिए

….. अजय

Language: Hindi
432 Views
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