Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2017 · 1 min read

#=#=# हौसला जिन्दगी का #=#=#

दुख की घड़ी में तो
आंसू भी आंखों का साथ नहीं देते।
मुश्किल वक्त हो तो
अपने भी बढ़ कर हाथ नहीं देते।
जब इतना समझते हो तो
न दुख में आंसू अंखियों में लाना।
और मुश्किलों आएं भी तो
किसी के आगे न हाथ बढ़ाना।
दुख में आंसू हैं बैरी
दुख में कोई न साथी।
तकलीफों के बीहड़ को
खुद ही पार करके है दिखाना।
दिखा दो दुनिया को
कि ठोकर में है जमाना।

—-रंजना माथुर दिनांक 21/08/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
copyright

Language: Hindi
428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रंग रंगीली होली आई
रंग रंगीली होली आई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने बच्चों का नाम लिखावो स्कूल में
अपने बच्चों का नाम लिखावो स्कूल में
gurudeenverma198
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
कौन किसके बिन अधूरा है
कौन किसके बिन अधूरा है
Ram Krishan Rastogi
2720.*पूर्णिका*
2720.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
पीक चित्रकार
पीक चित्रकार
शांतिलाल सोनी
"कथा" - व्यथा की लिखना - मुश्किल है
Atul "Krishn"
बखान गुरु महिमा की,
बखान गुरु महिमा की,
Yogendra Chaturwedi
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
कवि दीपक बवेजा
क्या देखा
क्या देखा
Ajay Mishra
जाते निर्धन भी धनी, जग से साहूकार (कुंडलियां)
जाते निर्धन भी धनी, जग से साहूकार (कुंडलियां)
Ravi Prakash
अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
Atul Mishra
मौके पर धोखे मिल जाते ।
मौके पर धोखे मिल जाते ।
Rajesh vyas
कँवल कहिए
कँवल कहिए
Dr. Sunita Singh
असफलता
असफलता
Neeraj Agarwal
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
कवि रमेशराज
क्षणिकाए - व्यंग्य
क्षणिकाए - व्यंग्य
Sandeep Pande
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*
*"गंगा"*
Shashi kala vyas
ऐ महबूब
ऐ महबूब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शब्द
शब्द
Paras Nath Jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
💐प्रेम कौतुक-480💐
💐प्रेम कौतुक-480💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुक्तक... छंद हंसगति
मुक्तक... छंद हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
ना जाने क्यों आज वक्त ने हालात बदल
ना जाने क्यों आज वक्त ने हालात बदल
Vishal babu (vishu)
हिन्दु नववर्ष
हिन्दु नववर्ष
भरत कुमार सोलंकी
■ अटल सत्य...
■ अटल सत्य...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...