हौंसलों को पर लगेंगे
हौसलों को जब पर लगेंगे
तभी मंजिलों तक सफर लगेंगे
मैं अपने कदम वापिस नहीं लूँगा
मेरी पाँव में कांटे भी अगर लगेंगे
मै कभी झूठे कसीदे नहीं पढ़ता
मेरे लफ्ज तो तुम्हें ज़हर लगेंगे
बड़ी तरक्की कर ली है मुल्क ने
सुना है गाँव भी अब शहर लगेंगे
गहरे ज़ख्म आयेंगे ‘अर्श’ दिल पर
अगर यूँ जुबान के खंजर लगेंगे ॥