हो प्यार में जाए अगर थोड़ी बहुत तकरार
हो प्यार में जाए अगर थोड़ी बहुत तकरार
करना कभी इसमें नहीं इस पार या उस पार
बस खेलती हरदम रहे ये ज़िन्दगी यूँ खेल
गम या ख़ुशी के रूप में देती रहे उपहार
है चार दिन की ज़िंदगी रखना इसे बस याद
आसान हो जाती अगर हो पास अपने प्यार
मत मुश्किलों को देखकर लो हार अपनी मान
ये ही सफलता के यहाँ पर खोलतीं भी द्वार
दिल मत दुखाना तुम किसी का बोल कड़वे बोल
मुस्कान जो बस दे सके ऐसा करो व्यवहार
चाहें बड़ा हो हौसलों का ‘अर्चना’ आकाश
ईमान का रखना सदा अपना यहाँ आधार
डॉ अर्चना गुप्ता