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21 Apr 2017 · 1 min read

हो गये अब तुम बड़े…

.
अब तुम बड़े हो गये बेटा
मैं अपने सब अधिकार खो चली!
कभी मेरे प्रेम से तुम थे
आज मेरी ओर देखना भी सही नहीं
हाँ फर्क है, कल और आज में जरूर!
…कि अब तुम मेरी उगुँली पकड़कर नहीं
मैं तुम्हारी उगुँली पकड़कर चलना चाहती हूँ!
याद है मुझे जब तुम लड़खड़ा जाते
चलते-चलते!
झट उठा लेती तुम्हें मैं गोद में
आँचल से पोछती देह की धूल!
आज मैं लड़खड़ा गयी! तुम मुझे
छूना भी नहीं चाहते! इसलिए
तुम्हारे कपड़ों में धूल सिमट जायेगी!
उम्र ऐसी हो गयी मेरी अब शिवाय
लड़खड़ाने के बचा ही क्या?
तू बड़ा हो गया! सारे अधिकार
मेरे सब सिमट गये! अब तो तुझे
डाँट भी नहीं सकती,ना आँखों
से गुस्सा! तू इतना बड़ा जो हो गया!
अब तो तेरी ऊँची आवाज से
मेरी रुह काँप जाती,छुप जाती दरवाजे
के पीछे, बिल्कुल तेरे बचपन की तरह
तू अब बड़ा हो गया,मेरा बचपन फिर
वापस आ गया!
वही डर, वही एहसास,वही कुछ चीजों
के लिए अनायास मन मचलने लगता
लेकिन फर्क इतना है अब तेरी तरह
मैं तुझसे जिद नहीं कर सकती
क्योंकि ये अधिकार अब न रहा!

.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
300 Views
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