” हो अंत भली सरकार ” !!
बिजली विजली कहाँ मिले ,
रोशन है कंदील !
भीड़ भाड़ के रेले ना हैं ,
अँखियाँ गहरी झील !
वक़्त नहीं कटता है –
निंदिया उड़ी हमार !!
यादें , वादे भूल रहे ,
बातें हुईं पुरानी !
कंचन काया कहाँ रही ,
बिसुरे आज जवानी !
हाथ कांपता , कांपे स्वर –
समय लगे बटमार !!
आखर आखर पढ़ लिए ,
मर्म कठिन है थोड़ा !
मोहपाश ने ऐसा जकड़ा ,
मन ना जाये मोड़ा !
साथ न देता है शरीर पर-
इतनी सी दरकार !
चिंतन मनन लक्ष्य हुआ ,
लगना है विराम !
पीछे छूटा अब डर है ,
पाना है विश्राम !
बना रहे गतिमान ये जीवन –
यही चहें उपकार !!
बृज व्यास