होशियार कीजिये
होशियार कीजिये
मत शिकार कीजिये
राहों में बिछे हुए
दूर खार कीजिये
फैलने से पहले ही
भर दरार दीजिये
जीस्त बेशकीमती
मत गुज़ार दीजिये
चोट कर सके कलम
ऐसी धार कीजिये
मत गँवाइये समय
यादगार कीजिये
प्यार खुद हो जाएगा
आंखें चार कीजिये
रहिये सावधान भी
जब भी वार कीजिये
दिल के तो कभी नहीं
बन्द द्वार कीजिये
‘अर्चना’ ये सच्ची है
सब से प्यार कीजिये
डॉ अर्चना गुप्ता
20-11-2017