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13 Mar 2017 · 1 min read

होली हैं (दोहे)

” होली है”(दोहे)
1.
खेलों सभी जन मिल के, होली का त्योहार।
भेदभाव सब छोड़ दो, छोड़ो सब तकरार।।

2.
लकड़ी ना जलाकर के, मन का बैर जलाय।
गुल की होली खेलिये, पानी दियो बचाय।।

3.
क्लेश द्वेष सब छोड़िये, मन का भेद मिटाय।
एेसी होली खेलिये, सब का मन हरसाय।।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
1109 Views
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