होता कभी बिछोह (गीत)
होता कभी बिछोह 【 गीत 】
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कभी मिलन की बेला आती, होता कभी बिछोह
【 1 】
चक्र चल रहा इस धरती पर ,आने का – जाने का
समय नियत है महाकाल का ,सबको ही खाने का
साथ रहा जो जितना उससे ,होता उतना मोह
कभी मिलन की बेला आती होता कभी बिछोह
【2】
कौन जान पाया क्यों लेते जन्म जगत में आते
किसे पता हम खेल-खेल में क्यों सौ बरस बिताते
नहीं मिली है आत्मतत्व की ,अब तक कोई टोह
कभी मिलन की बेला आती ,होता कभी बिछोह
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451