होंगे घायल दिल हजारों तेरा ज़ल्वा देखकर
——-ग़ज़ल——-
2122–2122–2122-212
1-
हूक़ सी उठती है दिल में उसका हँसना देखकर
चाँद को मैं भूल बैठा उसका चेहरा देखकर
2-
इस तरह मत होके बे-पर्दा निकल मेरे सनम
होंगे घायल दिल हजारों तेरा ज़ल्वा देखकर
3-
दिल करे आगोश में दिलबर मैं सोता ही रहूँ
मख़मली बाँहों का तेरे ये बिछौना देखकर
4-
हुस्न की दौलत तुम्हे बख़्शी है रब ने इस क़दर
कौन दिल पागल न होगा ये ख़ज़ाना देखकर
5-
जब मिली नज़रें सनम से होश मेरा खो गया
शर्म से पलकें गिराना फिर उठाना देखकर
6-
किस तरह खुद को सँभालूँ तिश्नग़ी बढ़ती मेरी
हुस्न का लहराता तेरा यार दरिया देखकर
7-
है मुनव्वर दिल ये “प्रीतम” चाँद मेरा मिल गया
खो गये ग़म के अँधेरे ये उजाला देखकर
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)