है! मेघ जल्दी बरस
धरा कर रही पुकार,
है! मेघ करो उपकार,
बरसाकर तुम नीर,
मिटा दो सबकी पीर,
सब ताक रहे आसमान,
अब सहन नही तापमान,
गरमी से सब बेहाल,
सूख गए सब ताल,
पानी को रहे तरस,
है ! तू जल्दी बरस,
हम जन करते प्रार्थना,
है!देव पूरी करो कामना,
जल बिना नही जीवन,
जल बिना नही वन,
देव हुए तब प्रकट,
दूर करो प्रभू संकट,
नर है स्वार्थी कितना,
मतलब का नाम जपना,
समय पर सम्भल जा नर,
धरा की पीड़ा को तू हर,
पेड़ लगाकर भू को बचा ले,
होगी हरियाली यह जान ले,
।।।जेपीएल।।।