है बहुत अफसोस देखो जल रहा है ये वतन
चंद लोगों की वजह से खो गया है अब अमन
है बहुत अफसोस देखो जल रहा है ये वतन
धर्म की ही आग में यूँ जल रहा है देश सारा
जान भी जाती हमारी,माल जलता ये हमारा
बात कहने के तरीके और भी कितने यहाँ है
शांति से बात कहने का न चुनते क्यों चलन
है बहुत अफसोस देखो जल रहा है ये वतन
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई हैं यहाँ पर भाई भाई
हक़ बराबर हैं सभी के क्यों रहे फिर ये लड़ाई
बात का कोई बतंगड़ यूँ नहीं तुम सब बनाओ
क्या नहीं अधिकार मिलता है टटोलो बस जरा मन
है बहुत अफसोस देखो जल रहा है ये वतन
चाल चलती है सियासत खेलती बस बाजियाँ हैं
आग भड़का सेकती ये अपनी ही बस रोटियाँ हैं
सोचो समझो खुद तभी पहुँचो किसी निर्णय पे तुम
हो नहीं सकता किसी अधिकार का कोई हनन
है बहुत अफसोस देखो जल रहा है ये वतन
22-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद