हे मोबाइल भाई — जब से तू हाथ है आया !!!
हे मोबाइल भाई ,लत यह कैसी लगाई।
जब से तू हाथ है आया,दुनिया सारी भुलाई।
फसा लिया तूने अपने जाल में,
खाना पीना सब कुछ भुला,छूट गई पड़ाईं।।
दया न तुझको आई,पीछा छोड़ूं कैसे भाई।
तात मात दोनों ही डांटे,तेरी वजह से होती लड़ाई।।
सुबह से तेरा हाथ में होना, देखते देखते तुझे ही सोना।
बदल दिया तूने मेरा जीवन, अपनो से दूरी बड़ाई।।
वैसे तुझमें ज्ञान बहुत, काम और भी मेरे है।
सारा समय तुझे ही दे दूं, घर की हो कैसे भरपाई।।
राजेश व्यास अनुनय