Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2020 · 2 min read

हे निरीह प्राणी तू चाहता क्या है?

हे निरीह प्राणी तू क्या चाहता है,
क्या मैं अपना अधिकार छोड़ दूं,
क्या मैं अपना विवेक खो दूं,
और तेरी खिदमत में लग जाऊं,
अपने अरमानों को जला दूं,
उन सबको मैं निराश कर दूं।

जिन्होंने मुझे पर निवेश किया है,
मेरे अनुकूल वेश धरा है,,
कैसा सुंदर वातावरण बनाया,
मुझको, उनसे टिकट दिलाया,
मेरी टिकट मेरी ना होती,
यदि समय पर इनकी गांठ ना खुली होती।

इनके सहारे मैंने सत्ता पाई है,
पहले इनकी करनी भरपाई है,
फिर अगली बार भी तो किस्मत आजमाएंगे,
कुछ तो उसके लिए भी कमाएंगे,
हां समय बचा तो तेरी भी सोचूंगा,
किन्तु अभी तो मैं यही करुंगा।

तुमको इससे क्या परेशानी है,
मुझे यह देखकर होती हैरानी है,
एक वोट देकर अहसान जताते हो,
अरे वोट देने को तो तुम जाते ही हो,
फिर इसमें क्या रखा है,
तुमने किसके चुनाव चिन्ह पर हाथ रखा है,
चिन्ह तो उसमें भरे पड़े थे,
हमने तुम्हारे हाथ तो ना पकड़े थे,
बस कहा ही तो था वोट देने को,
ऐसा तो सभी कहते हैं कहने को।

वोट तो किस्मत वाला ही पाता है,
जीतकर भी वही आता है,
हम तो अपनी किस्मत से जीत गए,
तुम तो यों ही गले पड़ रहे,
देखो हमने कह दिया है,
सारा सच सामने रख दिया है,
और तो सच भी नहीं कहेंगे,
बस भरोसे पर उलझाए रखेंगे,
और अब भी तुम्हें नहीं मानना है,
तो बता तू कर भी क्या सकता है,
चल हट यहां से बक बक करता है,
तेरी तो औकात ही क्या है,
जो मुझसे लड़ने को खड़ा है,
तू तो है सिर्फ निर्बल और निरीह प्राणी,
और यही रहेगी सदा तेरी कहानी।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
ना अश्रु कोई गिर पाता है
ना अश्रु कोई गिर पाता है
Shweta Soni
💐प्रेम कौतुक-159💐
💐प्रेम कौतुक-159💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज की पंक्तिजन्म जन्म का साथ
आज की पंक्तिजन्म जन्म का साथ
कार्तिक नितिन शर्मा
जल खारा सागर का
जल खारा सागर का
Dr Nisha nandini Bhartiya
ए कुदरत के बंदे ,तू जितना तन को सुंदर रखे।
ए कुदरत के बंदे ,तू जितना तन को सुंदर रखे।
Shutisha Rajput
राहत के दीए
राहत के दीए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये रंगा रंग ये कोतुहल                           विक्रम कु० स
ये रंगा रंग ये कोतुहल विक्रम कु० स
Vikram soni
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
वापस आना वीर
वापस आना वीर
लक्ष्मी सिंह
चेहरे की तलाश
चेहरे की तलाश
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
रमेशराज के बालगीत
रमेशराज के बालगीत
कवि रमेशराज
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
ऐ ज़ालिम....!
ऐ ज़ालिम....!
Srishty Bansal
उसे मलाल न हो
उसे मलाल न हो
Dr fauzia Naseem shad
सबक
सबक
manjula chauhan
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
Neelam Sharma
कांधा होता हूं
कांधा होता हूं
Dheerja Sharma
खरी - खरी
खरी - खरी
Mamta Singh Devaa
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
शायर देव मेहरानियां
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
Suryakant Dwivedi
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
Yash mehra
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
अधरों पर शतदल खिले, रुख़ पर खिले गुलाब।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
फिर वसंत आया फिर वसंत आया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
खाना-कमाना सीखिगा, चोरियॉं अच्छी नहीं (हिंदी गजल/ गीतिका)
खाना-कमाना सीखिगा, चोरियॉं अच्छी नहीं (हिंदी गजल/ गीतिका)
Ravi Prakash
Loading...