Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2017 · 2 min read

हे कृष्ण तुम कहां हो

सादर प्रेषित
स्वरचित

पिताजी अखबार की खबरें पढ़ते हुए एकाएक बोले,हे भगवान न जाने क्या कुछ और देखना-सुनना लिखा है इस योनि में। मां पूजा अर्चना में व्यस्त थीं। पूजा होने पर वो जैसे ही पिताजी को प्रसाद देने लगी, पिताजी फिर से वही बातें दोहराने लगें और बोले भाग्यवान तुम श्री कृष्ण की इतनी पूजा अर्चना करती हो किन्तु तुम्हारे कृष्ण हैं कहां? आज समाज में नारी की स्थिति अत्यधिक दयनीय व शोचनीय बन चुकी है। नारी उत्पीड़न का सबसे भयावह रूप है कन्या भ्रूण हत्या। इस कलंक को समाज से मिटाने के लिए तुम्हारे तथाकथित विराट स्वरूप वाले, अर्जुन को अंधकार से प्रकाश में लाने वाले कृष्ण कहां हैं? तुम ही गीता में बार बार पढ़ती हो –
“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम!!” और कितने पाप वह अधर्म बढ़ने का इंतजार है उन्हें। कंस और दुष्शासनों की हिम्मत और संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
मां-आप शायद भूल रहे हैं कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करते हैं जो स्वयं प्रयास करते हैं। हम सबने और बुद्धिजीवियों ने देश के विकास के लिए बहुत सी योजनाएं तो बनाईं, परंतु नारी की ओर देखने की पुरुष की दृष्टि पर कभी चिन्तन नहीं किया। यही कारण है कि आज के फिल्मों के गीत, कहानी और व्यवसाय जगत में नारी-अस्मिता की बोली लगाई जाने लगी है। ऐसी विडंबनाओं के चलते अब नारी को पवित्रता की दृष्टि से देखनेवाला समाज का निर्माण कैसे होगा?
फिर कहते है जब-जब धरती पर पाप बढ़ा भगवान ने किसी न किसी रूप में जन्म लेकर उसे रोका। ऐसा ज़रूरी नहीं कि मेेे कान्हा हर सुदर्शन चक्र लेकर ही अवतरित हों,हो सकता है वे हमारी जागरुक विचार धारा के द्वारा या किसी आम आदमी के रूप में प्रयास कर रहे हों।आज हम जहां बेटियों को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। पढ़ाने की, कुछ बनाने की सोच रहे हैं और यह भी अनुभव कर रहे हैं कि बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं। मोदी जी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अलख जगाने के बाद बेटियों के लिए हर क्षेत्र में सरकारी लेबल पर काम हो रहे हैं। कई एनजीओ काम कर रहे हैं। कई लोगों की सोच भी बदली है,
पिताजी-परन्तु फिर भी हम रोज अखबारों, टीवी चैनलों पर नजर डालें या आसपास नजर डालें तो आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती हैं कि चौंका देती हैं, दिल दहला देती हैं और मुंह से अपने आप निकल आता है- हे भगवान कहां हो, हे कृष्णा कहां हो? फिर चाहे वो चलती बस, ट्रेन में महिला से बलात्कार हो,स्कूल जाने वाली दसवीं की छात्रा का रेप हो।
सोचकर ही दिल कांप जाता कि क्या बीता होगा उन महिलाओं पर जब उनके साथ हैवानियत की गई और उनके घर के सदस्य को भी मार दिया। हे कृष्णा उस समय तुम कहां थे। “हे कृष्ण हे द्रौपदी के सत को बचाने वाले नटवर तुम कहां हो?
नीलम शर्मा

Language: Hindi
312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आपके स्वभाव की सहजता
आपके स्वभाव की सहजता
Dr fauzia Naseem shad
* अवधपुरी की ओर *
* अवधपुरी की ओर *
surenderpal vaidya
कलयुगी दोहावली
कलयुगी दोहावली
Prakash Chandra
3035.*पूर्णिका*
3035.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
पूर्वार्थ
Dont loose your hope without doing nothing.
Dont loose your hope without doing nothing.
Sakshi Tripathi
भले दिनों की बात
भले दिनों की बात
Sahil Ahmad
इस सियासत का ज्ञान कैसा है,
इस सियासत का ज्ञान कैसा है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के भेद
Neelam Sharma
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अंताक्षरी पिरामिड तुक्तक
अंताक्षरी पिरामिड तुक्तक
Subhash Singhai
■ 24 घण्टे चौधराहट।
■ 24 घण्टे चौधराहट।
*Author प्रणय प्रभात*
मुहब्बत का घुट
मुहब्बत का घुट
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
डॉ. शिव लहरी
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
Dr.Pratibha Prakash
दिल  धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
दिल धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
बेवकूफ
बेवकूफ
Tarkeshwari 'sudhi'
अंदर का चोर
अंदर का चोर
Shyam Sundar Subramanian
है कौन वहां शिखर पर
है कौन वहां शिखर पर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
एक सन्त: श्रीगुरु तेग बहादुर
एक सन्त: श्रीगुरु तेग बहादुर
Satish Srijan
आहिस्ता चल
आहिस्ता चल
Dr.Priya Soni Khare
!! वीणा के तार !!
!! वीणा के तार !!
Chunnu Lal Gupta
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
Bhupendra Rawat
मैं जिसको ढूंढ रहा था वो मिल गया मुझमें
मैं जिसको ढूंढ रहा था वो मिल गया मुझमें
Aadarsh Dubey
जन मन में हो उत्कट चाह
जन मन में हो उत्कट चाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कविता-
कविता- "हम न तो कभी हमसफ़र थे"
Dr Tabassum Jahan
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
Ravi Prakash
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
Loading...