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12 Jan 2021 · 1 min read

हुए हैं दार्शनिक, इस जहां में चंद ऐसे

1222 + 122 + 1222 + 122
हुए हैं दार्शनिक, इस जहां में चंद ऐसे
जिओ यारो, जिया है विवेकानंद जैसे

जहां हैरान था देख सन्यासी का जादू
ग़ुलामी में भी आखिर, ये सोच बुलंद कैसे

गया क्यों भूल तू विष्णु को, कुछ याद तो कर
घमण्डी नीच, मारा गया था, नन्द कैसे

ज़हर सुकरात को दे दिया पर आज भी वो
अमर किरदार है, कोई सोच बुलंद जैसे

बताया आपने गोरे की थी हुकूमत
तो फिर अध्यात्म में था विदेशी मन्द कैसे

1 Like · 281 Views
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