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17 Aug 2019 · 1 min read

हुआ हिमालय क्रोध में

हुआ हिमालय क्रोध में

हुआ हिमालय क्रोध में,
आंखें उसकी लाल|
हुआ वनों का दूहना,
मानव को न ख्याल||
मानव को न ख्याल,
जंगलों को रहा काट|
आपदाओं को नियंत्रण,
रहा विपत्तियां बांट||
विनोद सिल्ला कहे,
ये निशुल्क औषधालय|
पेड़ लगाओ खूब,
दिखे महकता हिमालय||

-विनोद सिल्ला©

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