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30 Apr 2021 · 1 min read

हिमालय कर रहा हुंकार है

हिमालय कर रहा हुंकार है

हिमालय कर रहा हुंकार है
मानव ने किया उस पर प्रहार है

कभी ग्लेशियर का टूटना
कभी बाढ़ का दिखता प्रभाव है

कभी आसमानी बिजली चीखती
कभी सुनामी का प्रचंड वार है

कोरोना ने सारी सीमाएं तोड़ दीं
मानव अपने किये पर शर्मशार है

कभी ज्वालामुखी है चीखता
कहीं गृहयुद्ध की मार है

सुपारी किलर खुले आम घूमते
चीरहरण की घटनाएं बेशुमार हैं

संवेदनाएं दम हैं तोड़तीं
मानवता खुद पर शर्मशार है

चीख – पुकार का ये कैसा दौर है
हर एक शख्स हुआ लाचार है

मानव जीवन हुआ कुंठाओं का समंदर
इंसानियत हुई बेज़ार है

रिश्ते निभाने का अब चार्म न रहा
बिखरा – बिखरा सा मानव का संसार है

हिमालय कर रहा हुंकार है
मानव ने किया उस पर प्रहार है

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 284 Views
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