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13 Oct 2018 · 2 min read

हिन्दी हाइकुओं का पंजाबी अनुवाद

हिन्दी हाइकु एवं पंजाबी अनुवाद

✍?प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

हिन्दी हाइकु
—————-
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍??प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

पंजाबी अनुवाद
अनुवादक : —-
उर्मिला कौल

01)
ਸੰਸਾਰ ਮੌਜ
ਗੂੰਗੇ ਦਾ ਵਯਾਕਰਣ
ਪੜੇਗਾ ਕੌਣ
———–
02)
ਵਗ ਜਾਣਦੇ
ਅਥਰੂ ਈ ਧੋੰਦੇ ਨੇ
ਮਨ ਦਾ ਮੈਲ
———–
03)
ਚੁਪ ਕਰਾੰਤੀ
ਅਵਾਜ ਦੇ ਵਿਰੁਧ
ਇੱਕ ਆਵਾਜ
————-
04)
ਆਓ ਤੋੜਨੇ
ਰੂੜੀਯਾੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਫੈਲਨ ਲੱਗਾ
———-
05)
ਦੂਲਾ ਬਨਿਯਾੰ ਵਾੰ
ਅਤੇ ਯਾਦਾੰ ਮੇਰੀਆੰ
ਬਣੀਯਾੰ ਦੁਲਨ
———-
06)
ਵਰੇ ਨੇ ਮੋਤੀ
ਮੁਸਕਾ ਰਿਹਾ ਬੱਦਲ
ਸਾਵਨ ਆਯਾ
————–
07)
ਦਸੋ ਨਾ ਤੁਸੀੰ
ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਹਾ ਸ਼ਾੰਤੀ
ਕਿੱਥੇ ਮਿਲੇਗੀ
———–
08)
ਮੇਰੀਯਾੰ ਪੀੜਾੰ
ਬੋਧ ਪਾਅੋਗੇ ਨਹੀੰ
ਇਹ ਅਬੋਧ
————–
09)
ਸੰਜਮ ਛੰਦ
ਖੁਸ਼ਬੂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤਾ
ਹੋਯਾ ਬੇਕਾਬੂ
————-
10)
ਗਿਯਾਨ -ਰਵਿ
ਅਗਿਯਾਨ-ਹਨੇਰਾ
ਕਰਦਾ ਦੂਰ
—————
11)
ਧੁੱਪ ਦੀ ਥਾਲੀ
ਬੱਦਲ ਮੇਹਮਾਨ
ਸੂਰਜ ਰੋਟੀ
————-
12)
ਸੱਚ ਹੈ ਜਿੱਥੇ
ਰੱਬ ਰਹਿੰਦਾ ਉੱਥੇ
ਲਭਦਾ ਕਿੱਥੇ
————
13)
ਆਦਮੀ-ਲੈਣ
ਮਨ ਇੱਕ ਹਾਇਕੁ
ਛੰਦ-ਸੁਭਾਓ
———–
14)
ਕੰਡੇ ਤਾ ਨਹੀ
ਚੁਭਨ ਲਗੇ ਹੁਣ
ਕੋਮਲ ਫੁੱਲ
———-
15)
ਕਾਲ ਚੱਕਰ
ਮਨੁੱਖਤਾ ਪੀੰਹਦੀ
ਗੰਨੇ ਦੇ ਵਾੰਗ
————
16)
ਰੱਖ ਦੇ ਸ਼ੀ਼ਸ਼ਾ
ਆਤਮਕਥਾ ਆਪਣੀ
ਫੇਰ ਲਿਖੀੰ
————-
17)
ਸ਼ਾਸ਼ਵਤ ਸੱਚ
ਸਿੱਕੇ ਦੇ ਦੋ ਪਹਿਲੂ
ਜਨਮ-ਮਰਨ
————-
18)
ਸੱਟ ਲਗੀ ਹੈ
ਯਕੀਨਨ ਭੀਤਰ
ਟੀਸਦੀ ਪੀੜ
———-
19)
ਭੁੱਖਾੰ—ਲੜਿਆ
ਪਰ ਤਗੜਾ ਉਹੀ
ਉਹੀ ਨਿਕਲਯਾ ਨਾ
——–
20)
ਵਸਵਸਥਾ ਸਾੰਚਾ
ਢਲ ਨਾ ਪਾਯਾ ਮਨ
ਟੁੱਟਣ ਲੱਗਾ
———–
21)
ਦੂਰੋੰ ਫੈਲਿਯਾ
ਰੂੜੀਯਾੰ ਦਾ ਆਕਾਸ਼
ਕਿਥੋੰ ਤੋੜੀਯੇ
————
22)
ਘੁਟਦਾ ਦਮ
ਦੇਸ ਅਸ਼ਾੰਤੀ ਵੇਖ
ਟੁਟਦਾ ਦਮ
————
23)
ਹੱਸਿਆ ਕੱਲ
ਰੁਆੰਦਾ ਵਰਤਮਾਨ
ਭਵਿਸ਼ਤ ਨੂੰ
————
24)
ਉਡਦੀ ਹਾਯ
ਅਭਿਲਾਖਾ ਦੀ ਧੂੜ
ਸਾੜਦੀ ਦਿਲ
————-
25)
ਮਨੁਖ ਪਿੰਜੇ
ਮਾਨਵਤਾ ਦੀ ਿਪੱਠ
ਛਾਣਨੀ ਹੋਈ
———–
26)
ਹੰਜੂ ਛਲਕੇ
ਹੱਸੇ ਫੇਰ ਦਰਦੀ
ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ
———–
27)
ਮੁਸਕਾਨ ਰੋਯੇ
ਠਿਠੋਲੀ ਕਰ ਰਹੇ
ਅਥਰੂ ਮੇਰੇ
————

पंजाबी अनुवाद : ——
स्व. उर्मिला कौल
दक्षिण रमना, आरा (बिहार)
पिन – 802301

टंकण सहयोगी : —–
जसदीप मोहन जी

Language: Hindi
1 Like · 329 Views
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