हिंदी है जन-जन की भाषा
विश्व हिंदी दिवस पर एक गीत १०/१/२०२१
चार कोस पर बदली वाणी केवल मिलती हिंदी में।
सौम्य सरसता की मधु वाणी केवल मिलती हिंदी में।
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हिंदी है जन -जन की भाषा।
मुखर करे मन की अभिलाषा।
संत कबीरा ने लिख डाली दुनिया दारी हिंदी में।
सौम्य सरसता की मधु वाणी केवल मिलती हिंदी में।।
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नीरज का मकरंद भरा है।
ज्ञान पुष्प का गंध भरा है।
मलिक जायसी ने लिख डाले प्रेम ग्रंथ सब हिंदी में।
सौम्य सरसता की मधु वाणी केवल मिलती हिंदी में।
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मीरा के छंदों में बसती।
तुलसी की रामायण रचती।।
कान्हा की अठखेली देखो अपनी प्यारी हिन्दी में।
सौम्य सरसता की मधु वाणी केवल मिलती हिंदी में।।
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अनुपम है साहित्य धरोहर।
ग्रन्थ-ग्रंथ इसका अनुपम।
देश काल की भाषाओं का,
हुआ इसी से है उद्गम।।
वट विराट सा भंडारण है इसी हमारी हिन्दी में।।
सौम्य सरसता की मधु वाणी केवल मिलती हिंदी में।।
अटल मुरादाबादी