हिंदी से प्यार
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर, इससे हमको प्यार।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, भार्या प्राणाधार।।
यह है लोक लुभावनी भाषा, जैसे हों संगीत।
सरल सहज अति सुंदर बोली, यह ही मन की मीत।।
मूक बने रहना इसके बिन, दिखे नहीं आधार।
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर, इससे हमको प्यार।।
तत्सम, तद्भव देश विदेशी, सबको देती मान।
धर्म कर्म में निपुण बनाती, इससे मिलता ज्ञान।।
पुलकित हो मन खिल उठता है, हिंदी से व्यवहार।
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर, इससे हमको प्यार।।
पुरखों का पाया है हमनें, इससे ज्ञान प्रसाद।
जग की सबसे उत्तम भाषा, सुंदर शुभ संवाद।।
चलो करें प्रसार सभी मिल, बने गले की हार।
गर्व हमें हिंदी भाषा पर, इससे हमको प्यार।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’