Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2019 · 2 min read

हास्य-व्यंग्य “कन्यादान की जगह वरदान”

बुद्धि जीवी हैं तो कभी सोच कर देखिए कि यदि “कन्यादान” के स्थान “वरदान”
होता काश! तो क्या माहौल होता घर-घर का।
हर घर अखाड़ा, हर घर में दंगल। जब कन्या अपने गठजोड़े के बंधन में पुरुष वधु को आबद्ध कर घर लाती।
सर्व प्रथम पहला-पहला शुभ काज–
वधु का गृह प्रवेश और वधु ने मारी किक…..
कलश चावलों सहित छत को चूम उठता नव वधु आगमन का पहला धमाका….
अगला कदम। नव वधु को नपे तुले नज़ाकत भरे अंदाज़ में हौले-हौले घर की प्रत्येक जिम्मेदारी खुद पर खुशी खुशी ओढ़नी है व सिर झुकाकर ससुराल में सबको अपने से बड़ा मानकर चलना है।

रसोई में पहला दिन। सास का आदेश। ससुर जी की पसंद का ही खाना बनाना है। सब्ज़ी आलू गोभी की बनाओ। दूसरे दिन। आज मूंग की दाल बनेगी। ससुर जी की पसंद। वधू आगबबूला। इस साले ससुरे की तो मैं पसंद निकालता हूँ अभी। इस के बाप का नौकर हूँ जो रोज बैठ कर रोटी थेपूं इसकी चाकरी में।और अपनी नापसंद का खाना क्यों खाऊं रोज़-रोज़?
हो गया साहब ससुर की इज्जत का फलूदा और ससुर व पुरुष वधु में आमने सामने का युद्ध । या तो ससुरा ही रहेगा या मैं ही इस घर में। हो गयी शुरू लाठी भाटा जंग। यदि वधु फायरिंग में एक्सपर्ट हो तो पिस्टल तक
भी बात पहुंच सकती है। सहनशीलता के लिए तो स्थान ही कहाँ। इतना रफ एण्ड टफ माहौल। तौबा तौबा….

आप क्या सोचते हैं कि हमारे पूर्वजों ने यूं ही इतना अहम विभाग “गृहस्थी” डिपार्टमेंट किसी के हाथों में सौंप दिया था?
नहीं साहब नहीं।
समाज की नींव का प्रथम पत्थर “परिवार” के शिलान्यास पर ही समाज का सुदृढ़ीकरण संभव था
अन्यथा भवन कब विघटित हो जाता अथवा बिल्डिंग ढहने का भय सदैव बना रहता।

हमारे प्राचीन प्रबुद्ध वर्ग और शास्त्र पुरोधाओं ने एक बहुत ही सोची समझी साजिश के तहत परिवार संस्था को इन कठोर वधुओं के कुटिल क्रोध के कुठाराघात से काफी हद तक बचाया और एक सबसे जबर्दस्त सेफ ज़ोन के सुपुर्द कर दिया जहाँ परिवार सुरक्षित रूप से प्रस्फुटित होकर पल्लवित, पुष्पित, हरित, फलित व संवर्धित होकर आज भी हर पल लहलहा रहा है और वह सेफ ज़ोन है ईश्वर की सबसे अप्रतिम कृति नारी।
नारी ममत्व, त्याग, सहनशीलता व प्रेम की साक्षात् प्रति मूर्ति….

यह उक्ति यूँ ही नहीं कही गयी – –
“यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते
रमन्ते तत्र देवताः।।”

जय नारी। जय जय जय नारी ?????

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ???????

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
आओ मिलकर नया साल मनाये*
आओ मिलकर नया साल मनाये*
Naushaba Suriya
रंग तो प्रेम की परिभाषा है
रंग तो प्रेम की परिभाषा है
Dr. Man Mohan Krishna
दोस्ती
दोस्ती
राजेश बन्छोर
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
'अशांत' शेखर
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
Harminder Kaur
*आते हैं भगवान 【भक्ति गीत】*
*आते हैं भगवान 【भक्ति गीत】*
Ravi Prakash
पेड़ से कौन बाते करता है ।
पेड़ से कौन बाते करता है ।
Buddha Prakash
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
ये रंगा रंग ये कोतुहल                           विक्रम कु० स
ये रंगा रंग ये कोतुहल विक्रम कु० स
Vikram soni
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*दायरे*
*दायरे*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
💐प्रेम कौतुक-387💐
💐प्रेम कौतुक-387💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*एकांत*
*एकांत*
जगदीश लववंशी
"बात पते की"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी रहे पूजा योग्य जो,
कभी रहे पूजा योग्य जो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
We just dream to  be rich
We just dream to be rich
Bhupendra Rawat
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
आपने खो दिया अगर खुद को
आपने खो दिया अगर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
तुम ही तुम हो
तुम ही तुम हो
मानक लाल मनु
शिव हैं शोभायमान
शिव हैं शोभायमान
surenderpal vaidya
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
2581.पूर्णिका
2581.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कस्तूरी इत्र
कस्तूरी इत्र
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पूछो हर किसी सेआजकल  जिंदगी का सफर
पूछो हर किसी सेआजकल जिंदगी का सफर
पूर्वार्थ
निरुपाय हूँ /MUSAFIR BAITHA
निरुपाय हूँ /MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
क्रोध
क्रोध
लक्ष्मी सिंह
नया साल
नया साल
अरशद रसूल बदायूंनी
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...