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7 Oct 2016 · 1 min read

हास्य कविता-जब भी मिलेगा जाम

कल हमें कहीं जाने का एक पड़ा काम।
तभी रास्ते में लग गया बहुत बड़ा जाम।
टेम्पू और दो बसें अटी-सटी खड़ी थीं ।
लोगों के आने -जाने में बाधायें बड़ी थीं
दो बसों के बीच से कुछ पतले लोग निकल रहे थे ,
कुछ कुत्ते बसों के नीचे से होकर चल रहे थे ।।
हमने भी सोचा कि हम भी बीच से होकर निकल जायें,
अपनी जगह पर पहुँच कर जल्दी से काम कर आयें ।।
यही सोचकर हमने बीच से निकलना चाहा ,
हाथ पैर निकाले और अपना मोटा पेट बीच में सटाया ।।
हमें लगा कि हम बीच में गये फँस,
आश्चर्य चकित देख रहे थे हमें लोग हँस
इतने में उधर से एक मोटा व्यक्ति आया
आब न ताब देखा बीच में अपना मोटा पेट सटाया ।।
हम दोनों ओर बसों के बीच फँस रहे थे
हमें देख सभी लोग जोर जोर से हँस रहे थे ।।
इतना देख हम दोनों ने बहुत जोर लगाये,
कुछ फँसे थे दायें कुछ फँसे थे बायें ।।
हारे पहलवान से हम बीच में थे ठाड़े,
इस जोर की आजमाइश में हमने अपने कपड़े फाड़े।।
ऐसा लगा कि जैसे हमने योद्धा हों पछाड़े।।
भीगी बिल्ली से हम पढ़ रहे थे पहाड़े।।
इतनी देर में ड्राइवर ने बस की स्टार्ट,
जगह हो जाने पर जाम खुल गया फटाक ।।
हमने पकड़े कान खाई कसम फिर ऐसे न करेंगे काम ,
इंतजार कर लेंगे हमें जब भी मिलेगा जाम।।

Language: Hindi
360 Views
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