Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2017 · 1 min read

हासिल क्या ?

हासिल क्या ?
—————-

मेरे त्याग
और बलिदान से
हासिल क्या ?
हुआ मुझको !!
कभी मिली
दुत्कार मुझे !
तो कभी मिला
कुआँ मुझको !!
मैं छली गई !
अपनों के हाथों
कभी कामी ने
छुआ मुझको !!
कभी जिस्म बिका
बाजारों में……
कभी समझा गया
जुआ मुझको !!
कभी परणाकर
बचपन में ही
छोड़ा ना…..
युवा मुझको !!
सबके लिए
दुआ करती हूँ !
मिली कभी ना
दुआ मुझको !!
मैं नारी हूँ !
पर ! समझूँ अबला
हरदम से ही क्या ?
हुआ मुझको !!
—————————-
डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”
============================

Language: Hindi
558 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रथम संवाद में अपने से श्रेष्ठ को कभी मित्र नहीं कहना , हो
प्रथम संवाद में अपने से श्रेष्ठ को कभी मित्र नहीं कहना , हो
DrLakshman Jha Parimal
■ नया शब्द ■
■ नया शब्द ■
*Author प्रणय प्रभात*
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
हमने ख़ामोशियों को
हमने ख़ामोशियों को
Dr fauzia Naseem shad
Subah ki hva suru hui,
Subah ki hva suru hui,
Stuti tiwari
चीरहरण
चीरहरण
Acharya Rama Nand Mandal
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
_सुलेखा.
The Little stars!
The Little stars!
Buddha Prakash
सर्दी का उल्लास
सर्दी का उल्लास
Harish Chandra Pande
आत्म संयम दृढ़ रखों, बीजक क्रीड़ा आधार में।
आत्म संयम दृढ़ रखों, बीजक क्रीड़ा आधार में।
Er.Navaneet R Shandily
मकड़जाल से धर्म के,
मकड़जाल से धर्म के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम "नवल" हरदम ।
शेखर सिंह
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वो खुशनसीब थे
वो खुशनसीब थे
Dheerja Sharma
वाल्मिकी का अन्याय
वाल्मिकी का अन्याय
Manju Singh
समृद्धि
समृद्धि
Paras Nath Jha
नहीं उनकी बलि लो तुम
नहीं उनकी बलि लो तुम
gurudeenverma198
*जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)*
*जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)*
Ravi Prakash
भूल जा इस ज़माने को
भूल जा इस ज़माने को
Surinder blackpen
प्राण- प्रतिष्ठा
प्राण- प्रतिष्ठा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
सुन मेरे बच्चे
सुन मेरे बच्चे
Sangeeta Beniwal
दोस्ती
दोस्ती
Kanchan Alok Malu
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...