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15 Mar 2017 · 1 min read

हाइबन

प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
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हाइबन

बड़े भैया और मैं दोनों तीस वर्ष लंबे अंतराल के बाद घुमने निकले । घने विहड़ वनों की राहों में कई बार भटकने के उपरांत आखिर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण गोमर्डा अभयारण्य के अद्भुत सुरम्य स्थल माडमसिल्ली पहुँच ही गये । पहुँचते ही सारी थकानें दूर हो गयीं ।

गहरे खड्डे में उतरते ही बचपन की सारी पुरानी यादें ताजी हो गयीं और हमारी खुशियों का कोई ठिकाना ही न रहा । माता जी की उंगलियों को पकड़ कर चलता एक सात साल का बालक मैं और बाबुजी की उंगलियों को पकड़ कर चल रहा बारह साल का एक नटखट बालक बड़े भैया की माडमसिल्ली से जुड़ी बचपन की सारी स्मृतियाँ मनः पटल पर आज अनायास दृश्यवत् हो उठीं । आज भी वही बड़े बड़े पेड़, बड़ी बड़ी चट्टानें, कलकल करता निर्झर और छोटा सा जलाशय मन को अभिभूत कर चले थे…….

स्वर्गीय माँ बाबुजी की कमी अचानक खलने लगी…… मुख की मुद्राएँ सहसा गंभीर हो चलीं………. भैया जी से आँसुओं को छिपाने के प्रयास में सफल हो गया………

अनायास रचना लेखनी से निःसृत हो उठी…………….

माडमसिल्ली
बचपन के साथ
गपिया चली ।

■ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. 7828104111

Language: Hindi
467 Views
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