हवा चलती दिखी जिसको जिधर की
हवा चलती दिखी जिसको जिधर की
उसी ने राह पकड़ी है उधर की
कमाई है यही बस उम्र भर की
कभी नीची नहीं अपनी नज़र की
न मानी हार हमने ज़िन्दगी से
प्रतीक्षा अब भी है अच्छी खबर की
विचारों की हमारे डोर थामे
कलम बातें करे लंबे सफर की
सदा चलते रहो सच की डगर पर
वहां होती न कोई बात डर की
न होता उनका कोई जग में अपना
उधर करते हैं बातें जो इधर की
चलीं बातें वफ़ा की ‘अर्चना’ जब
खली तब चुप्पियाँ उनके अधर की
10-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता